01 आश्रम परिचय
श्री हरि गोपाल आश्रम(सेवा फाउंडेशन)
अभिवादन शीलस्य , नित्यम् वृद्धो पसेविन:।
चत्वारि तस्यवर्धन्ते ,आयु, विद्या ,यशो बलम्।।
एक ही संकल्प, एक ही नारा। सेवा ही धर्म हमारा।।
यह पवित्र वेदोक्ति अवधारणा ही संस्था का पावन उद्देश्य----
02 हमारा उदेस्य :
हर एक संस्था का एक विशेष उद्देश्य होता है और वह उसकी पूर्ति हेतु संकल्पित अवधारणा का स्पर्श करने का सम्यक प्रयास करती है ।
वहीं जब कोई संस्था असहाय वृद्ध माता-पिता की सेवा एवं गौ सेवा की धारणा के साथ स्थापित की जाती है तो निश्चित रूप से संस्थापक के चिंतन में साक्षात हरिकृपा ही कही जायेगी सुश्री शिवांगी जी गोस्वामी की यह पहल श्रीधाम वृंदावन की पवित्र माटी में भूखंड पर शांतिपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में स्थापना हेतु संकल्पित है ।
वृद्ध माता-पिता की सेवा ,गौ सेवा आदिकाल से ही परम कल्याणकारी दायित्वों की पूर्ति में सहायक रही है इस अनुक्रम की पावन श्रृंखला को अग्रांकित करती हुई सुश्री शिवांगी जी ने आश्रम में आवास, भोजन, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ धार्मिक क्रियाकलापों के मध्य सेवा प्रस्तुति हेतु स्वयं के जीवन को चुना है।
आस्था, विश्वास और उमंग की त्रिवेणी में श्री हरि गोपाल सेवा आश्रम फाउंडेशन मानवसेवा, गौ सेवा के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की परिपाटी को जीवंत बनाने हेतु अग्रसर है ।
कलिकाल के इस कलुषित वातावरण में सनातन की समृद्ध गौरवशाली परंपरा को अभिसिंचित करने के भागीरथ प्रयास में सुश्री शिवांगी जी पर हरि कृपा बनी रहे ।
03 जीवन परिचय
सुश्री शिवांगी गोस्वामी का धरावतरण आंग्ल दिनांकित ०४ अगस्त २००० को अवध धाम की पावन माटी में स्थित जनपद अमेठी उत्तर प्रदेश में श्रीमती संगीता जी एवं श्री संपूर्णानंद जी के पावन अंक को धन्य करते हुये हुआ।
दो भाइयों और दो बहनों में सुश्री शिवांगी जी ज्येष्ठ हैं ,पारिवारिक पृष्ठभूमि का आपके मनोमस्तिष्क पर व्यापक प्रभाव पड़ा क्योंकि आपके पितामह और मातामही धार्मिक प्रवृत्ति के थे जो रायबरेली जनपद स्थित महराजगंज तहसील अंतर्गत कंसपुर कुटी के पुनीत प्रांगण में इन्हें शिशुकाल में ही ले आये।
यहीं पर आपने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करते हुए एक शिक्षण संस्थान की स्थापना कर बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु संपूर्ण मनोयोग का परिचय देते हुए प्रसिद्धि प्राप्त की।
धार्मिक पारिवारिक पृष्ठभूमि का आपके जीवन पर जादुई प्रभाव पड़ा फलस्वरुप आध्यात्मिक ग्रन्थों का पारायण और फिर उनकी चर्चा परिचर्चा से जीवन में सादगी, साधुता, सदाचरण, सेवा, समर्पण, संयम का अद्भुत दृश्य आपके व्यक्तित्व को समलंकृत करने लगा।
वर्तमान में सुश्री शिवांगी जी ने श्री हरि गोपाल सेवा फाउण्डेशन की स्थापना कर हरिनाम का प्रचार, उनकी कथाओं का गायन करते हुए असहाय माता-पिता की सेवा का संकल्प*एवं *गौ सेवा के संरक्षण का संकल्प लिया।
मानवीय मूल्यों के प्रति उनके हृदय में संपूर्ण समर्पण एवं सनातन की धर्मध्वजा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की यात्रा में सहयोगी की भूमिका में सेवारत हैं